अंक विद्या से जुड़ी खबरें - An Overview
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छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है. इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है.
कोर्ट ने ऐसा करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था, लेकिन प्रशासन ने आदेश आने के चंद घंटों के बाद ही देर रात में पूजा शुरू करा दी.
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प्रशासन ने धार्मिक कार्यों के कुछ जानकारों से भी इस बात की सलाह ली कि अगर कोई जगह काफी दिनों तक बंद रहती हैं तो वहां पूजा करने के लिए क्या विधान होता है.
वाराणसी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तहख़ाना खुलवा कर पूजा करवाने की अपनी चुनौतियां थीं.
प्रशासन के मुताबिक कोर्ट के आदेश के अनुसार, सिर्फ़ उन्हीं मूर्तियों की पूजा होनी थी जो इस तहख़ाने से मिली थीं.
प्रशासन का कहना है कि रास्ता पहले की तरह अब भी बंद है लेकिन अब फिक्स्ड बैरीकेड की जगह दरवाज़ा लगा दिया गया.
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क्योंकि तहखाना बंद था तो उसमें सीलन की समस्या भी थी.
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इन मूर्तियों की पहले ली गई तस्वीरों से पहचान करके निकालने में दो से तीन घंटे लगे.
यह पहले से ही सरकार के ट्रेज़री में मौजूद थीं.
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इसमें पत्थर के बिना शिवलिंग के दो अरघे, एक भगवान विष्णु की मूर्ति, दो भगवान हनुमान की मूर्ति, एक भगवान गणेश की, एक राम लिखा हुआ छोटा सा पत्थर और एक गंगा जी का मकर है.
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